Howrah Bridge Intresting Facts हावड़ा ब्रिज से जुडे़ कुछ रोचक तथ्य। किसके पास है हावड़ा ब्रिज की चाभी ?
Amezing Facts About Howarh Bridge.
हावड़ा ब्रिज एक कैंटिलीवर ब्रिज है जो भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर में हुगली नदी पर बना हुआ है। इस पुल की सबसे बड़ी खासियत है पुल के बीच में किसी भी आधार का ना होना।
अक्सर कोई भी बड़ा पुल कई खंभों के ऊपर टिका होता है लेकिन इस पुल में सिर्फ चार खंभे हैं जो की पुल के दोनो छोर पर स्थित हैं।
पूरे पुल में कहीं भी नट बोल्ट का प्रयोग नहीं किया गया है।
इस पुल का नाम 1965 में महान राष्ट्रीय कवि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के नाम पर रखा गया है लेकिन अभी भी लोग इसे हावड़ा ब्रिज के रूप में ही पहचानते हैं।
इस पुल पर हर दिन लगभग एक लाख से अधिक वाहन आते जाते हैं और इतने ही पैदल यात्री भी इसपर आवागमन करते हैं।
हावड़ा ब्रिज पूरी दुनिया में अपनी तरह का आठवां सबसे लंबा पुल है।
इस पुल का निर्माण 1935 में एक ब्रिटिश कंपनी Cleveland Bridge & Engineering Co. Ltd द्वारा किया गया था।
इसे बनाने में 26500 टन स्टील लगा था जिसमे से 90 प्रतिशत स्टील भारत की टाटा स्टील कंपनी से खरीदा गया था।
यह पुल 2313 फीट लंबा और 269 फीट ऊंचा है।
इस पुल की चौड़ाई 71 फीट है जिसमे दोनो तरफ 15-15 फीट चौड़े दो फुटपाथ भी हैं जिन्हें पैदल यात्री प्रयोग करते हैं।
भारत में ये अपनी तरह का एकमात्र Cantilever ब्रिज है।
गर्मियों में इसकी लंबाई करीब 3 फीट तक बढ़ जाती है।
पूरे पुल को कलर करने के लिए 26500 लीटर पेंट की जरूरत होती है और लगभग 65 लाख रुपए का खर्च आता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस पुल की एक चाभी थी जिसे ब्रिटिश कंपनी ने भारत को नही दिया । पुराने समय में इस चाभी से पुल को बड़े समुद्री जहाजों के लिए दो हिस्सों में खोला जाता था। लेकिन इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
ऐसी मान्यता भी है कि पुल के एक इंजीनियर ने कहा था कि यह पुल 12 बजे ही गिरेगा। लेकिन उसने AM या PM नहीं बताया था। इसलिए इस पुल को दोपहर 12 बजे और रात को 12 बजे बंद कर दिया जाता है। हालांकि ये बात भी सिर्फ एक किवदंती ही है।
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